जमीन विवाद मामले पर जामताड़ा से मां और बेटे पहुंचे शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो से मिलने, निराशा हाथ लगी। 

जमीन विवाद मामले पर जामताड़ा से मां और बेटे पहुंचे शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो से मिलने, निराशा हाथ लगी।

रांची :जामताड़ा जिला के फतेहपुर प्रखंड सिमल डूबी गांव निवासी नियुति मंडल एवं निमाई मंडल जमीन पर अवैध कब्जा और मुआवजा को लेकर मंत्री जगन्नाथ महतो के आवास पहुंचे। नियुति मंडल और निवाई मंडल माँ और बेटे हैं। निवाई मंडल ने बताया कि फतेहपुर प्रखंड सिमल डूबी गांव में हमारी जमीन पर आईओसीएल कंपनी द्वारा पाइप लाइन का काम कर रही है जिसके द्वारा हमारी जमीन अधिग्रहित कर ली गई है। लेकिन हमें मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। हमने अब तक मुख्यमंत्री, मंत्री, डीसी समेत कई अधिकारियों के चक्कर लगा लिए हैं। लेकिन हमें अब तक इंसाफ नहीं मिल सका है हम मां और बेटे अपना घर छोड़ दर-दर भटक रहे हैं। जमीन विवाद को लेकर पुलिस की मिलीभगत से जमीन दलालों द्वारा मेरे पिताजी को जान से मार दिया गया। मुझे और मेरी मां को भी जान से मारने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए हम मां बेटे दर-दर भटक रहे हैं। भीख मांग कर अपना पेट पाल रहे हैं हमें इंसाफ चाहिए लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। निमाई ने बताया कि हमने वोट का दरवाजा भी खटखटाया है लेकिन हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम केस लड़ सके हमने जज साहब से भी मुलाकात की लेकिन जज साहब ने कहा कि वकील द्वारा कोर्ट में केस फाइल की जाए केस फाइल करने के लिए वकील ने 40 हजार की रकम की मांग की है। मैं और मेरी मां मंत्री जगन्नाथ महतो के पास एक आवेदन लेकर 40 हजार मांगने पहुंचे। लेकिन मंत्री द्वारा भी हमें आर्थिक मदद नहीं दी गई हैं। अब हम मीडिया से हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। ताकि हमें हमारा जमीन घर और आत्म सम्मान मिल सके। निमाई ने बताया कि आईओसीएल द्वारा हल्दिया से बरौनी पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है। जिसमें मेरा भी जमीन जा रहा है। खाता संख्या 399 और खाता संख्या 589 है। खाता संख्या 399 मे मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया। जबकि खाता संख्या 589 में मुझे नोटिस दिया गया और जिसमें 75 वर्ग मीटर जमीन मेरी चली गई और मुझे मुआवजे के रूप में 56 हजार रुपये का सिर्फ चेक दिया गया। जबकि पैसा अबतक नहीं मिल सका है। अब गांव के जमीन दलाल और पुलिस दोनों ही मेरे और मेरी मां को जान से मारने के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं। हमें इंसाफ चाहिए जो कहीं से नहीं मिल रहा है। हमारे पास खाने तक के पैसे नही है। मंत्री से भी हमें निराश हाथ लगी है।

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